लेखक: राजीव तिवारी आयोजक: महेश शुक्ला
पूर्वांचल उत्तर प्रदेश की दस बैठकियों में बहुत से युवाओं ने पूछा कि अगर राजनीति में आगे बढ़ना चाहते हैं तो क्या करना चाहिए?
महेश शुक्ला ने अपने राजनीति के लम्बे अनुभव से बताया कि “राजनीति में सफल होने के लिए सबसे पहले राष्ट्रहित को सर्वोच्च मानना होगा।” राष्ट्रहित को सर्वोच्च मान कर ही आज भारतीय जनता पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनी है एवं नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता। वोह दल जो लोकप्रियता और अपने निजी स्वार्थो के कारण जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव करते थे जिनके लिए राजनीति राष्ट्रहित से ऊपर थी उनका हाल सर्वविदित है। मोदी सरकार की हर योजना में स्पष्ट दिखता है राष्ट्रहित। प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या ?
प्रेरणास्तोत्र आवश्यक हैं लेकिन राष्ट्रहित सर्वोच्च
वर्तमान में नरेंद्र मोदी , योगी जी, अमित शाह, जे पी नड्डा जी एवं कई अन्य नेताओं से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। कहावत है जिन ढूढ़ा तिन पाइया गहरे पानी पैठ। वर्तमान युग के राजनीतिज्ञों के भी प्रेरणास्तोत्र रहे हैं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी, अटल जी, महात्मा गाँधी, नेता जी सुभाष चंद्र बोस एवं अन्य कई। मजे की बात यह है कि नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के राजनीतिज्ञों से भी सीखा है और उन्हें उचित सम्मान दे रहे हैं।
भारत रत्न उन्हें दिया गया है जिन्हे उनके दलों ने घमंड और परिवारवाद के कारण अनदेखा ही नहीं अपमानित भी किया। नरसिम्हा राव जैसे विद्वान् व्यक्ति को मरणोपरांत भी अपमानित किया गया। सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा इंडिया गेट पर लगने नहीं दी गयी। कर्पूरी ठाकुर जैसे महान नेता को अनदेखा किया गया। पटेल जिन्होंने पूरे हिन्दुस्तान को जोड़ा उन्हें भी अनदेखा कर दिया गया। इन सबका परिणाम सामने दिख रहा है।
हमें किसी का भी अनुसरण करने से पहले यह देखना होगा कि जिस से हम सीखना चाहते हैं वोह राष्ट्रहित को सर्वोच्च मानता है या नहीं।
सफलता के लिए अपने स्वभाव को समझिये
अगर आज नरेंद्र मोदी विश्व के सबसे श्रेष्ठ नेता हैं तो उसका एक कारण उनका अपने स्वभाव के अनुकूल कार्य करना। उनका साहस, देश प्रेम एवं विपरीत परिस्थितयों में भी दृढ निश्चय बचपन से ही दिखता था। हमारे प्रदेश में योगी जी का इतनी कम उम्र में साधू बनना भी कोई आसान चुनाव तो था नहीं लेकिन उन्हें भी अपना स्वभाव जल्दी ही समझ में आ गया था। अगर आप में भी राष्ट्र प्रेम की भावना है, निर्भीकता है और सीखने का दृढ़ निश्चय तो भी आप को परिणाम की चिंता छोड़ कर ही राजनीति में आना चाहिए। यह एक कठिन रास्ता है और सफलता के माप दंड अत्यंत कठिन एवं जटिल।
परिस्थितयों का आकलन करिये
राजनीति में टिके रहने के लिए अपनी परिस्थितयों एवं जिम्मेदारिओं का आकलन अति आवश्यक है। इसके बाद आपको खुद निर्णय लेना होगा कि कुछ आर्थिक प्रबंध भी हों तो टिके रहना आसान होगा। प्रसन्नता की बात यह है कि इस बैठकी में अधिकाँश लोगो ने बताया है कि वोह किसानी या किसी रोज़गार के साथ ही राजनीति में आगे बढ़ने की इच्छा रखते हैं। इस से लगता है कि इस विषय पर अधिकाँश लोगो ने पहले से ही सोच रखा है। बाकी लोगो के लिए यह अनुसरणीय हो सकता है।
अवसरों की कीजिये प्रतीक्षा
राजनीति में धैर्य का अत्यधिक महत्व है। संत कबीर ने कहा था:
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय ॥
यह पंक्तियाँ राजनीति के छेत्र में उतरने वालों को याद रखनी चाहिए। राष्ट्रहित को समर्पित होने वालों को पद और प्रतिष्ठा की परवाह किये बिना कार्य करना होता है। पद और प्रतिष्ठा समाज हमें हमारे कार्यो की गुडवत्ता के अनुसार ही देता है इसलिए कर्म किये जाइये और फल की चिंता मत करिये अगर आप राजनीति के छेत्र में हैं तो। ध्यान रहे कि सफलता के लिए राम कृपा आवशयक है जो आपकी साधना के अनुरूप ही मिलेगी।
अगला अंक: क्या कहती है पूर्वांचल की नारी शक्ति
Great achievements for modi governments सबक़ा साथ सबका विकास
Mahesh Shukla ji aapke anubhav Yuva peedhi ke raajneeti drishtkod ke liye bahut hi mulayavan hai.
Adarniya Rajeev Tiwari ji- Aapke ke dwara kisi bhi vishaye par likhne ki pratibha Atulaniya aur Bilkul hi Şaral Bhasa, vishaye ko seedha hodti hai.
राजनिति के पिच पर वह ही लंबा खेलेगा जो देर तक राजनीति के खट्टे मीठे अनुभवों को देखकर सीख कर संभाल कर खेलेगा
Great initiative. political aspirants shd actively participate in such meetings. a valuable opportunity to directly engage with seasoned individuals. it’s important for learned individuals to step forward and play a role in educating the youth about the political landscape.